चौबीस घंटों की डयूटी और लगातार काम लेने के कारण ड्राइवरों की नींद और थकावट बन रहा है गाड़ियों का दुर्घटना घटित होने का कारण
ऐसी समस्याओं का निदान के लिए ड्राइवर कई बार प्रबंधन और कंपनी से आवेदन निवेदन कर कर चुके हैं हड़ताल लेकिन समस्या जस की तस्वीर बनी
एसईसीएल प्रबंधन भटगांव कोल ट्रांसपोर्ट कंपनी के ड्राइवरों की समस्या को हल करने के बजाय ड्राइवरों और यूनियन से कोर्ट की लड़ाई लड़ने में मस्त और बिना नियम कानून के ड्राइवरों से काम लेकर कोल ट्रांसपोर्ट कंपनी और खुद की झोली भरने में है लगे
- भटगांव:– एसईसीएल भटगांव क्षेत्र में प्रबंधन और कोयला परिवहन कंपनी के मनमानी के कारण कोल ट्रांसपोर्ट के गाड़ियों के दुर्घटना पर अंकुश नहीं लग रहा है। कोल ट्रांसपोर्ट कंपनी के लगातार दुर्घटना घटित होने का मुख्य कारण चौबीस घंटे की ड्यूटी जहां चौबीस घंटे के लंबे समय में गाड़ी चालक को न सोने का समय देना न ही थकावट दूर करने का समय मिलना जो गाड़ियों का दुर्घटना घटित होने का मुख्य कारण बताया जा रहा है। इस दिशा में न तो एसईसीएल प्रबंधन भटगांव को कोई मतलब है और ना ही कोल ट्रांसपोर्ट कंपनी को जहा मामूली घटना घटित होने पर ड्राइवरों को कई प्रकार की सजा दी जाति तो सोचिए गाड़ियों की रोड पर बड़ी दुर्घटना पर क्या होता होगा जहा एसईसीएल प्रबंधन भटगांव और कोल ट्रांसपोर्ट कंपनी हाई पावर कमेटी द्वारा निर्धारित नियमों को ताक पर रखते हुए कोल ट्रांसपोर्ट के गाड़ियों का संचालन करने में मस्त जिसे देखने और सुनने वाला कोई नहीं, कहते है ना शैय्या भए कोतवाल तो काहे का डर वही साम्राज्य चल रहा है एसईसीएल भटगांव क्षेत्र में जहा एसईसीएल प्रबंधन भटगांव की नीति हाई पावर कमेटी द्वारा निर्धारित नियमों से भी ज्यादा असरदार है जहा बड़े से बड़े सुरक्षा एजेंसी भी हाथ डालने से कतराते है।
कोल परिवहन कर रहे वाहनों की रफ्तार में काबू नहीं होने के चलते सडक़ दुर्घटनाएं घटित हो रही हैं। जहा कोल ट्रांसपोर्ट कंपनी के बड़े कर्मचारियों के द्वारा 5 से 6 ट्रिप लगाने के लिए निर्देशित करना जो 3 से 4 ट्रिप से ज्यादा लगा पाना संभव नहीं होता।
एसईसीएल भटगांव क्षेत्र में कोल ट्रांसपोर्ट के कार्य में लगे गाड़ियों के ड्राइवरों से कंपनी चौबीस घंटे की ड्यूटी लेती है जिसके कारण ड्राइवरों का नींद पूरा न होना वही डूटिबके वक्त अधिक से अधिक ट्रिप लगाने कंपनी से मिले आदेश के पालन के कारण अधिक थकावट होने के कारण आम तौर पर इसे दुर्घटना हो रहा है।
सडक़ दुर्घटनाएं हर दूसरे से तीसरे दिन हो रही हैं। कही ऐसा न हो की दुर्घटनाओं में बेकसूर लोग दम तोड़ दे। वैसे देखा जाए तो सबसे अधिक दुर्घटनाएं कोल वाहनों की टक्कर से हो रही हैं। इसके बावजूद इस गंभीर समस्या की ओर अफसर ध्यान नहीं दे रहे हैं। बता दें कि जिले में जबसे निजी कंपनियों में सडक़ मार्ग से कोयला परिवहन शुरू हुआ है तब से सडक़ दुर्घटनाओं में दो से तीन गुना इजाफा हुआ है। इस पर यदि रोक नहीं लगा तो आने वाले दिनों में दुर्घटनाओं में जिला भी अपना नाम रोशन करने पे मुख्य पायदान पर खड़ा होगा।
चंद दिनों की कार्रवाई कर शांत हो जाते हैं स्थानीय पुलिस प्रशासन। सडक़ दुर्घटनाओं को रोकने की कवायद अफसरों की ओर से की जाती है लेकिन यह केवल खानापूर्ति तक सीमित रह जाता है जहा शायद जांच स्थल पर खड़े अफसर को ये नहीं पता होता की मुझे क्या जांच करना है इन कोल ट्रांसपोर्ट के गाड़ियों जबकि कोल ट्रांसपोर्ट में लगी गाड़ियों में कोयला परिवान के लिए प्रशासन की ओर से जारी एक भी गाइडलाइन का पालन नहीं कराया जाता ट्रांसपोर्ट कंपनी के द्वारा जो चंद दिनों की कार्रवाई करने के बाद आला अधिकारी शांत हो जाते हैं। इसके बाद फिर ट्रांसपोर्टरों की ओर से मनमानी शुरू कर दी जाती है। कोयला परिवहन के लिए प्रशासन की ओर से जारी गाइडलाइन का अभी तक पालन नहीं कराया गया है। यही वजह है कि दुर्घटनाएं भी लगातार घटित हो रही हैं।
एसईसीएल भटगांव क्षेत्र में जिस तेजी से नियमों को ताक पर रखकर कोल ट्रांसपोर्ट का कार्य कराया जा रहा है उस पर शायद एसईसीएल प्रबंधन भटगांव रोक नहीं लगाना चाहती और न ही हाई पावर कमेटी द्वारा निर्धारित नियमों महत्व देना चाहती जिसके कारण कोल ट्रांसपोर्ट कंपनी बे रोक टोक सारे नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए कोल ट्रांसपोर्ट कराने में लगी हुई है जिससे कोल ट्रांसपोर्ट कंपनी को और कंपनी में कार्यरत कुछ बड़े कर्मचारियों को अतिरिक्त फायदा तो होगा ही वही प्रबंधन और इनसे संबंधित अधिकारियों को भी चढ़ावा स्वरूप न पहुंचे यह तो हो ही नहीं सकता फिर ट्रांसपोर्ट कंपनी और प्रबंधन क्यों सोचेगी ड्राइवरों और रोड पर चल रहे राहगीरों के लिए।