सक्ती/ट्रैक सीजी। नवीन जिला सक्ती डोलोमाइट रूपी डायमंड खनिज संपदा से परिपूर्ण है। सक्ती जिला के बाराद्वार क्षेत्र से देश के अनेकों जगहों पर वर्षों से डोलोमाइट पहुंच रहा है। सक्ती जिला के डुमरपारा, खम्हरिया, छीतापड़रिया, भोथिया, झालरौंदा, अकलसरा जैसे ग्राम पंचायतों में भारी मात्रा में डोलोमाइट पत्थर निकलते हैं। जहां पर बीते कुछ महीनों से डोलोमाइट का अवैध उत्खनन खनिज माफियाओं द्वारा लगातार जारी है।
छत्तीसगढ़ के विधानसभा में प्रायः हर सत्र में जिले में संचालित क्रेशर व खदान को लेकर हो रहे नियमों की अनदेखी व अवैध उत्खन पर सवाल उठते हैं। फिर भी जिले में डोलोमाइट के अवैध उत्खनन पर किसी प्रकार का लगाम नहीं लग पाना विभाग पर अनेकों प्रश्न खड़ा करते हैं। यहां खदानों पर लगातार अवैध उत्खनन और डोलोमाइट का ट्रांसपोर्टिंग 24 घंटे बेधड़ अंदाज में किया जाता है। क्षमता से दोगुना डोलोमाइट भरकर बड़े बड़े हाईवा सड़कों पर दिन रात भर्राटे भरते हैं। बावजूद इसके न तो खनिज विभाग की नजर इन पर पड़ती न ही आरटीओ वाले ध्यान देते। इस पूरे अवैध खेल में विभाग धृतराष्ट्र बना बैठा है।
4 हेक्टेयर के लिज पर 10 हेक्टेयर क्षेत्र की हो जाती है खुदाई
डोलोमाइट का अवैध उत्खनन और दोहन का सिलसिला ऐसा चल रहा है। जिसे सुनकर विश्वास न हो पर घटना सत्य है। ग्राम पंचायत अकलसरा और खमहरिया में बीते कुछ महीनों से लिज एरिया से अधिक एरिया पर दिन रात अवैध उत्खनन धड़ल्ले से जारी है। इन दोनों जगहों की जांच की जाए और विधिवत कार्यवाही की जाए तो सरकार को करोड़ों का राजस्व इस दो गांव के अवैध माफियाओं से ही प्राप्त हो जाए। पर अंधेर नगरी चौपट राजा के तर्ज पर चल रहे विभागीय काम काज से कार्यवाही के सिर्फ आस लगाए जा सकते हैं। कार्यवाही की खानापूर्ति समय समय पर सुनने को मिलते हैं।
शिकायतों से अधिकारियों की अवैध कमाई हो जाती है दोगुनी
डोलोमाइट के अवैध उत्खनन को लेकर खनिज विभाग में अगर कोई शिकायत पहुंचता है। या फिर इस अवैध उत्खनन पर कोई समाचार प्रकाशन होता है तो जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों की मौज हो जाती है। मामले पर कार्यवाही करने के बजाए हिस्सेदार की भूमिका निभाते हुए इस गोरखधंधे को संरक्षण देने लगते हैं। अगर जिम्मेदारों की कार्यशैली ऐसा रहा तो भला यह अवैध उत्खनन का कार्य कैसे रुक सकता है।