क्या किसी की राजनीतिक महत्वकांक्षा के चलते दबाव में की गई विभागीय अधिकारियों ने यह अनुशासन हीनता?
दुर्ग (ट्रेक सीजी न्यूज/सतीश पारख) जिस विभाग में अनुशासन को लेकर बड़ी बड़ी बातें और बड़े बड़े दावे किए जाते हैं यदि उसी विभाग में अनुशासन की धज्जियां उड़ाई जाय तो इसे आप क्या कहेंगे। हम बात कर रहे हैं पुलिस विभाग की जहां उच्च अधिकारियों की मनमानी के चलते कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है ?।मामला है दुर्ग जिले के पुलिस विभाग में 30 एएसआई जिनकी प्रधान आरक्षक से पदोन्नति हुई है किंतु इन्हे ढाई वर्ष होने को है और पद स्थापना स्थल के लिए पूर्व में पदस्थ स्थल से कार्य मुक्त नहीं किया गया है । यह पदोन्नती भूपेश सरकार के मध्य कार्यकाल के आसपास हुई थी किंतु उनके कार्यकाल के समाप्त होते तक भी उन्हे पद स्थापना नही दी गई । क्या ऐसी अनुशासन हीनता पर अब भाजपा की साय सरकार कोई कड़ा फैसला लेकर उन अधिकारियों पर कार्यवाही करेगी जिन्होंने इनकी पद स्थापना रोककर अनुशासन की धज्जियां उड़ाकर पुलिस विभाग को बदनाम करने का काम किया है?
ज्ञात हो की दुर्ग रेंज के अंतर्गत लगभग दो से ढाई वर्ष पूर्व आईजी ने 118 प्रधान आरक्षकों की ए एस आई पर पदोन्नति की थी पदोन्नति पश्चात रिक्त पदों के अनुसार उन्हे रेंज में जिलेवार स्थानांतरित किया गया।इस क्रम में दुर्ग जिले के 30 प्रधान आरक्षक दीगर जिलों में स्थानांतरित किए गए। उक्त 30 लोगों की सूची में से मात्र 19 लोगों को जिले से कार्यमुक्त कर पद स्थापना जिले में रवानगी दी गई । और शेष को उनकी राजनीतिक पहुंच और नेताओं अधिकारीयों का खास होने का लाभ देकर उन्हें पदोन्नति उपरांत यही रखा गया ये वो लोग थे जिन्होंने विभाग के नेताओं और अधिकारियों की महत्व कांक्षा को पूरा किया । जिन 19 को रवानगी दी गई उनमें दो लोगों ने अपनी अधिक उम्र का हवाला देकर अपना स्थानांतरण आदेश निरस्त करवा लिया। किंतु शेष 10,11 लोगो को आज दिनांक तक स्थानांतरित जिले हेतु रवानगी नही दी गई है जिसके कारण अन्य 19 लोगों में जिन्हे रवानगी दे दी गई है उनमें और उनके परिवारों में रोष व्याप्त है ।
पूर्व सरकार में पदोन्नत हुवे प्रधान आरक्षकों को पद स्थापना स्थल पर एएसआई की ज्वानिंग हेतु रवानगी दी गई किंतु जिन्हे यही रखा गया उसके पीछे भी लम्बे लेनदेन एवम राजनितिक पहुंच के चलते पदोन्नत स्थान हेतु रवानगी नही दी गई है यही पद स्थापना दे दी गई जिसके चलते नाराजगी देखने को मिल रही है।
इस बात का यहां खूब हल्ला रहा की जिन्हे पदोन्नति मिली और सेटिंग करने में कामयाब हुवे या मांग अनुरूप जिन्होंने व्यवस्था की उन्हें यथा स्थान रखा गया और स्थानांतरित स्थल पर रवानगी नही दी गई किंतु जो मांग पूर्ति शायद नही कर पाए उन्हे पदोन्नति उपरांत रवानगी आदेश दे दिया गया ।विगत ढाई वर्षो से कुछ अधिकारियों के द्वारा आदेशों का उल्लंघन करते हुए आज दिनांक तक उन्हे जिला दुर्ग में ही रखा गया है इसके पीछे के खेल की जांच जरूरी है की आखिर यूं 30 लोगों में ही भेदभाव पूर्ण कार्यवाही विभाग ने क्यों की की जो पदोन्नत हुवे प्रधान आरक्षक मुंह खोलकर की गई मांग की पूर्ति नहीं कर पाए उन्हें स्थानांतरित जिले पर तत्काल रवानगी दे दी गई एवं रसूखदार लोगों को आज दिनांक तक जिले से कार्य मुक्त नहीं किया गया है। हालाकि हम किए गए इन दावों की पुष्टि तो नही कर सकते किंतु पदोन्नति के बाद भी कुछ की पद स्थापना स्थल पर रवानगी रोकना अनेक संदेहों को जन्म देता है । पुलिस अधीक्षक दुर्ग कार्यालय में इस आदेश को ठंडे बस्ते में डालकर उन पर धूल चढ़ने देना भी जांच के दायरे में आता है की आखिर किसके इशारे पर और किसने यह खेल खेला है । आई जी के आदेश के बाद भी उनके नीचे पुलिस अधीक्षक कार्यालय में किसकी राजनीतिक और आर्थिक महत्वकांक्षा के चलते उसकी पूर्ति नहीं होने पर पुलिस अधीक्षक ने भी इस पर कार्यवाही को आगे बढ़ाने की हिमाकत नही की यह जांच का विषय है । ज्ञात हो की जिन प्रधान आरक्षकों को पदोन्नति पश्चात भी यहीं रोके रखा गया है उनमें से ज्यादातर की पद स्थापना वर्तमान उप मुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा सहित विधानसभा अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के क्षेत्र में जाकर वहां की कानून व्यवस्था देखनी थी किंतु उन्हें समाचार लिखे जाने तक रिलीव ही नही किया गया जिसके पीछे के कारणों को जानने और समझने की जरूरत है।
डेढ़ से दो वर्ष पूर्व लगभग मिली यह पदोन्नति के बाद भी भूपेश सरकार के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू के विभाग ने आखिर क्या सोचकर उन्हे पदोन्नति उपरांत स्थानांतरण क्या इसलिए रोके रखा की इनकी पदस्थापना तात्कालीन विपक्ष में रहे नेताओं के क्षेत्र ने हुई थी या इसके पीछे कोई लेनदेन का मामला है।जिसकी पूर्ति के उपरांत पदोन्नति हुई सहायक उप निरीक्षकों को आज दिनांक तक रवानगी नहीं दी गई।
हालाकि यह पदोन्नति मामला तात्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल का है किंतु इनकी अब साय सरकार खासकर वर्तमान गृह मंत्री से दरकार है । पदोन्नति हुए सहायक उप निरीक्षकों को तत्काल जिले से कार्य मुक्त कराने हेतु वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश देने की आवश्यकता है ताकि अन्य 19सहायक उप निरीक्षक के साथ न्याय हो सके एवं भेदभाव की भावना से ग्रसित ना हो।