दुर्ग (ट्रेक सीजी न्यूज छत्तीसगढ ) आप सबने अनिल कपूर की फिल्म नायक देखी होगी। 24 घंटे के मुख्यमंत्री ने व्यवस्था की जड़े हिला दी थी। पर वह फिल्म थी। भारत का आम आदमी ऐसी फिल्में देखकर अपना फस्ट्रेशन निकाल लेता है, जबकि सबको पता है, असलियत क्या है। समाज में भ्रष्ट्राचार की जड़े गहराई तक समाई है। बस पैसे आते दिखना चाहिए, साधन ज्यादा मायने नहीं रखता। वह भी तब, जब उस अवैध कमाई से हमें एक धेला तक नहीं मिलने वाला। फिर भी उगते सूरज को सलाम करना हमारी परंपरा है। यह ठीक है कि भाजपा आज एक वाशिंग मशीन बन गई है। जहां जाकर क्लीन अप हुआ जा सकता है। बहुत सारे लोग हो भी रहे हैं। जनता इसे पसंद भी कर रही है। लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है। वह जो भी पसंद करे, जायज है।
बहरहाल, दुर्ग के बीसियों वकीलों ने आज भाजपा प्रवेश किया। इसके पहले वे कहां थे, वही जाने। बेमेतरा जिले के बहुत सारे लोग भाजपा में आने तैयार है। प्रवेश के लिए पार्टी बस किसी अच्छे अवसर की बाट जोह रही है।
सब जानते हैं, भारतीय गणतंत्र की 18 वीं लोकसभा चुनाव की टोटल तैयारी हो चुकी है। हमारे देश में पहला चुनाव आम चुनाव अप्रैल 1952 में हुआ था। कल भी पहला अप्रैल है। दुर्ग लोकसभा भी उसी 1952 को अस्तित्व में आया।
साल 1906 को 1 जनवरी के दिन दुर्ग जिले का गठन किया गया था। शुरुआत में जब दुर्ग जिले का गठन हुआ तब इसमें बिलासपुर और रायपुर के कुछ हिस्सों को शामिल किया गया था। उस समय आज के राजनांदगांव और कवर्धा जिले भी दुर्ग जिले का हिस्सा हुआ करते थे। फिर समय बीता और 26 जनवरी 1973 को राजनांदगांव जिला बना। राजनांदगांव जिला बनने के बाद 6 जुलाई 1998 को राजनांदगांव विभाजित होकर कवर्धा जिला बना।
दुर्ग लोकसभा सामान्य सीट पर 17 बार चुनाव हो चुके है। 2000 में छत्तीसगढ़ बनने के बाद 2004 से 2019 तक चार बार मतदान हुआ है। इस बीच दुर्ग लोकसभा सीट पर तीन बार भाजपा तो एक मात्र बार 2014 में ताम्रध्वज साहू कांग्रेस से चुनाव जीते । कहते हैं, जब सत्ता में बैठा व्यक्ति निष्ठावान और चरित्रवान होता है तो सबकी खुशहाली होती है। समाज का उत्थान होता है। यह दुर्ग लोकसभा सीट भी उसी खुशहाली की राह देख रहा है।
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