दुर्ग (ट्रेक सीजी न्यूज /सतीश पारख)
प्रदेश की सियासत में दुर्ग के कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस–भाजपा से 6 प्रत्याशी इसी दुर्ग जिले से हैं। किसी भी प्रदेश में एक ही जिले से इतने अधिक प्रत्याशी राष्ट्रीय दलों से मेन स्ट्रीम चुनाव लड़ रहे हो, ऐसा उदाहरण शायद ही कहीं देखने को मिले । कांग्रेस ने दुर्ग जिले से सर्वाधिक 4 प्रत्याशियों को टिकट दिया है। राजनांदगांव, महासमुंद, बिलासपुर सीट पर दुर्ग से प्रत्याशी निर्यातित है। जबकि कोरबा सीट पर भाजपा से सरोज पांडे चुनाव लड़ रही हैं। मालूम हो, बीते विधानसभा चुनाव के बाद से दुर्ग का राजनीतिक दबदबा हाशिए पर चल रहा था। जबकि पूर्ववर्ती भूपेश सरकार में मुख्यमंत्री वा गृहमंत्री दुर्ग जिले से ही थे। इस लोकसभा चुनाव में राजनांदगांव से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, महासमुंद से पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू, बिलासपुर से विधायक देवेंद्र यादव के अलावा भाजपा ने सरोज पांडे को कोरबा से प्रत्याशी तय किया है। दुर्ग सीट पर विजय बघेल की पुनरावृत्ति हुई है। इस लिहाज से आधा दर्जन हाई प्रोफाइल प्रत्याशी दुर्ग से वास्ता रखते हैं। दुर्ग को सियासत की उर्वरा भूमि यूं ही नहीं कहा जाता। यहां से चंदूलाल चंद्राकर, मोतीलाल वोरा, भूपेश बघेल, सरोज पांडे जैसे नेताओं ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। छत्तीसगढ़ सरकार में भले ही आज दुर्ग से कोई नेता शामिल नहीं हो, मगर इससे दुर्ग की सियासी महत्व कम नहीं हो जाता। यहां की जमीन में वह गुण है कि नया नेतृत्व पैदा कर दे। बहरहाल, दुर्ग से चार प्रत्याशी अन्य सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। इसलिए यहां के कांग्रेस वा भाजपा प्रत्याशी क्रमशः राजेंद्र साहू और विजय बघेल को समस्या होने लगी है। खासकर कांग्रेस कार्यकर्ता अपने नेताओं के लिए राजनांदगांव, महासमुंद, बिलासपुर कूच कर गए है।इसी तरह सरोज पांडे के समर्थक कोरबा रवाना हो गए हैं। दुर्ग जिले के सियासी प्रेक्षको के लिए कई मोर्चों पर यह लोकसभा चुनाव अहम हो गया है। सभी ओर निगहबानी करनी पड़ रही है। यहां कौन कौन बच रहा है, यह भी देखना पड़ रहा है।