बहेराडीह।शासन द्वारा चांपा तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत सिवनी एक गरीब किसान घासीराम बरेठ को खेती किसानी का कारोबार कर अपना जीवन यापन करने के लिए करीब दस एकड़ शासकीय भूमि पट्टे पर उपलब्ध कराई गई थी। किसान ने सालों तक खेती किसानी का कारोबार कर रहे थे। इसी बीच यहां फैक्ट्री लगाने के एवज में जमीन का दस गुना अधिक पैसा में खरीदी का लालच देकर खरीद लिया।इसकी सूचना मिलते ही सिवनी के जनप्रतिनिधियों ने चांपा तहसील में जाकर तत्काल आपत्ति दर्ज किया। लेकिन फैक्ट्री वालों ने जिला मुख्यालय जांजगीर तहसील में शासकीय भूमि का रजिस्ट्री करा लिया।जहाँ पर आज लाखों रुपए की लागत से फैक्ट्री का संचालन किया जा रहा है।इस फैक्ट्री के चारों दिशाओं में घरों के अलावा स्कूल भी है।फैक्ट्री में कोयला, रेत, पत्थर, बिजली उपकरण का टूटे फूटे चीनी पत्थरों को केमिकल डालकर बड़े पैमाने पर पिसाई का काम किया जा रहा है।इससे उड़ने वाली प्रदूषण से बहेराडीह के ग्रामीण बहुत परेशान हैं। वहीं इस फैक्ट्री में काम करने वाले कई मजदूरों की मृत्यु प्रदूषण जनित सिलिकोसिस बीमारी से हो चुकी है। उसके बाद भी लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाले फैक्ट्री का संचालन जारी है।पत्थरों की पिसाई बड़े पैमाने पर होने से उड़ने वाली धूल से न सिर्फ मानव स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रही है। बल्कि किसानों के खेतों और उनके फसलों पर दुष्प्रभाव पड़ने लगी है।बॉक्स करना हैफैक्ट्री में बड़े पैमाने पर जब्त किए गए थे यूरिया खाद।मामला ठंडे बस्ते में।उल्लेखनीय है कि बहेराडीह में स्थापित फैक्ट्री में कोयला, रेत, पत्थर, टूटे फूटे बिजली उपकरण चीनी पत्थरों की ही पिसाई का काम नहीं हो रहा है। बल्कि यहाँ ईंट बनाने, उसे आग से पकाने के लिए बड़े पैमाने पर यूरिया और लकड़ी जलाकर आग से पकाया जाता है। इस बीच उड़ने वाली धुंआ और धूल के प्रदूषण से लोग परेशान तो हो ही रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ रात भर चलने वाली मशीन के तेज आवाज से लोगों का नींद हराम हो गई है। यहाँ के ग्रामीण वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण से भारी परेशान हैं।लेकिन लोगों की इस तरह की गंभीर परेशानी से शासन प्रशासन को कोई सरोकार नहीं है।
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