दुर्ग जिले के चार कांग्रेस नेताओं को मिला लोकसभा का टिकट….कांग्रेस की नजर में बिलासपुर हुआ नेतृत्व विहीन
ईडी के मामले में दोषी फरार चल रहे भिलाई विधायक को कांग्रेस ने बनाया लोकसभा प्रत्याशी
*रायपुर *(ट्रेक सीजी न्यूज छत्तीसगढ़/सतीश पारख)
प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस का वजूद समाप्त होता नजर आ रहा है। पांच साल सत्ता में रहने के बाद भी कांग्रेस का इतना बुरा हाल भी होगा इसका किसी को अहसास भी नही था। पर प्रदेश की सत्ता से बाहर होते ही कांग्रेस पार्टी की वास्तविकता जगजाहिर हो गई । प्रदेश कांग्रेस पार्टी का इतना बुरा हाल जोगी के समय में भी पहले कभी नही रहा है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 11 सीट में प्रत्याशी तय करने के लिए काफी जद्दोजहद करना पड़ा।राजनैतिक गलियारों में भी इस बात की काफी चर्चा थी कि कांग्रेस को लोकल नेतृत्व चुनाव के लिए नही मिल पा रहा है। पर आज की वस्तुस्थिति भी यही बयां कर रही है।कांग्रेस पार्टी दुर्ग जिले तक ही सिमट कर रह गई हैबिलासपुर में कांग्रेस पार्टी को लोकल नेतृत्व करने वाले चेहरा नही मिला जिस वजह से दुर्ग जिले के भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव को बिलासपुर लोकसभा का प्रत्याशी बनाकर उतारना पड़ा।देवेंद्र यादव के नाम पर सहमति बनाकर कांग्रेस पार्टी ने यह बता दिया है कि बिलासपुर लोकसभा से उनके पास लोकल कोई भी नेतृत्व नही है जिसके नाम पर पार्टी हाईकमान को भरोसा हो? देवेंद्र यादव के नाम से ईडी ने मामला पंजीबद्ध किया हुआ है।ईडी व आईटी ने भी देवेन्द्र यादव के निवास में छापेमारी की थी।ईडी ने अपनी जाांच में भी देवेंद्र यादव पर रूपए लेने का आरोप लगाया है। न्यायालय में पेश किया गया चालान में भी नाम है न्यायालय से वारंट भी जारी है।अपनी गिरफ्तारी न हो सके इसलिये इस नेता ने उच्च न्यायालय में (अग्रिम जमानत ) की अर्जी भी उच्च न्यायालय में लगाई थी जो कि न्यायालय ने खारिज कर दिया है फिर ऐसे व्यक्ति को बिलासपुर लोकसभा से कांग्रेस ने किस लिए चुनावी मैदान में उतारा है। क्या कांग्रेस में ईमानदार प्रत्याशी नहीं बचे हैं। यह अपने आप मे समझ से परे है। बिलासपुर कांग्रेस से कोई भी नेता क्या लोकसभा चुनाव में उतरना नही चाहता था या फिर कांग्रेस पार्टी को बिलासपुर के कांग्रेस नेताओ पर भरोसा ही नही रहा।दमदार नेताओ के नाम से पहचाने जाने वाला बिलासपुर संभाग आज कांग्रेस पार्टी के लिये नेतृत्व विहीन हो गया यह अपने आप मे सोचनीय प्रश्न है।कांग्रेस हाईकमान के इस फैसले से जनता भी यह समझ चुकी है कि कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव में अपनी हार स्वीकार कर ली है?बिलासपुर के कांग्रेस पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ताओ को इस विषय पर स्वयं विचार करने की आवश्यकता है।बिलासपुर संभाग शुरू से ही बड़े नेताओं से भरा पड़ा रहा।आज इस लोकसभा में कांग्रेस को बाहरी प्रत्याशी को उतारना पड़ गया।आज भी कांग्रेस के बड़े चेहरे है हर सर्वे में टाप पर है संतोष कौशिक, इसके अलावा राजेश पांडे,विजय पांडे,चिका बाजपेयी, राकेश शर्मा, राजू यादव, अशोक अग्रवाल, रामशरण यादव, महेश दुबे,अटल श्रीवास्तव, शैलेश पांडे जैसे कई नाम है।क्या इनके नाम लोकसभा के लिए तय नही हो सकते थे।कुल मिलाकर कांग्रेस को लोकल नेताओं पर जरा भी भरोसा नही रहा।कांग्रेस पार्टी के इस फैसले से कांग्रेस के अंदर अब विरोध की बाते भी सुनने में आने लगी है।छत्तीसगढ़ की लोकसभा में कांग्रेस को केवल दुर्ग जिले से ही प्रत्याशी लेना तय कर लिया था। इसीलिए पूर्व मुख्यमंत्री और दुर्ग जिले के पाटन से विधायक महादेव सट्टा एप के आरोपी भूपेश बघेल को कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश की राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया है। जबकि प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री और पीडब्ल्यूडी के कार्यों में घोटालों के अखबारों की सुर्खियों में रहे ,इतने बड़े पद पर होते हुवे भी समाज के लिए कुछ नही करने के आरोपों को झेलते रहे ताम्रध्वज साहू को बतौर कांग्रेस प्रत्याशी महासमुंद लोकसभा से चुनाव मैदान में उतारा गया है।भिलाई नगर विधायक देवेन्द्र यादव को बिलासपुर लोकसभा के लिए कांग्रेस का प्रत्याशी घोषित किया गया।क्या जनता इन नेताओं को स्वीकार करेगी?ऐसे बहुत से सवाल अब राजनैतिक गलियारों में उठने लगे है।एक व्यक्ति तभी नेतृत्व कर सकता है जब अन्य लोग उसे अपना नेता स्वीकार करें, और उसके पास केवल उतना ही अधिकार है जितना उसकी प्रजा उसे देती है।एक अपराधी आपके साथ न्याय नही कर सकता।यदि कोई उनकी बात ही नहीं सुनेगा तो दुनिया के सभी शानदार विचार आपके राज्य व आपको को नहीं बचा सकते।*
भूपेश मंत्रिमंडल के चेहरों को टिकिट*?आखिरकार प्रदेश की लगभग लोकसभा सीटों से कांग्रेस को भूपेश मंत्रिमंडल के सदस्य तथा उनके करीबी लोगों को ही टिकिट क्यों दी गई इस बात की जन मानस के बीच काफी चर्चा है । लोगों का कहना है कि क्या उन लोकसभा क्षेत्रों से कोई वरिष्ठ कांग्रेसी लोकसभा चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हुआ या पार्टी ने उन्हें काबिल नही समझा जो पार्टी नेतृत्व ने एक जिले की इतने नेताओं को दूसरे क्षेत्रों से प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतारा है या केंद्रीय नेतृत्व लोकसभा चुनाव का खर्च उठाने लायक स्थिति में नहीं रही जो भूपेश मंत्रिमंडल में मलाईदार पदों में रहते जिन्होंने अपने आप को मजबूत बनाया है उन्हे खर्च करने की स्थिति में होने के कारण पार्टी ने उन्हें टिकिट दी है ।