बहेराडीह।सालभर में सिर्फ और सिर्फ एक बार गर्मी के सीजन में मिलने वाली बोहार भाजी इस समय बाजार में 400 रुपये किलो बिक रही है।भाजियों का राजा कहे जाने वाले बोहार भाजी हर किसी को पसंद है।चूंकि यह भाजी बाजार में हमेशा उपलब्ध नहीं होता है।छत्तीसगढ़ की 36 प्रमुख भाजियों का संरक्षण, संवर्धन करने तथा सालों से अनुसंधान कर रहे वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल बहेराडीह के संचालक दीनदयाल यादव ने बताया कि बोहार भाजी सालभर में एक बार ही मिलता है। इस भाजी को खट्टे में बनाई जाती है। लोगों को यह भाजी खूब पसंद होती है।ग्रामीण क्षेत्रों में यह भाजी बड़ी आसानी से मिल जाती है लेकिन शहरी क्षेत्रों में इस भाजी का दर्शन दुर्लभ होता है। इसलिये शहर में यह भाजी इस समय 400 रुपये किलो में बिक रही है। उन्होंने बताया कि बोहार भाजी जितना सुंदर और गहरा हरे रंग की होती है।उतना ही यह भाजी स्वादिष्ठ भी होती है।बॉक्सपौष्टिकता का खजाना है बोहार भाजी।भाजियों का अनुसंधानकर्ता दीनदयाल यादव ने बताया कि अन्य भाजियों की अपेक्षा बोहार भाजी में पौष्टिक तत्व बहुत ज्यादा मात्रा में विद्यमान होती है। जिसे बोहार भाजी को उच्च पौष्टिकता का खजाना माना गया है।बॉक्सकिसान स्कूल में बिकती है बोहार का पौधा।बोहार पौधा जिसे भी लेना होता है तो अधिकतर लोग किसान स्कूल बहेराडीह आते हैं और 20 रुपये में एक पौधा उन्हें आसानी से उपलब्ध हो जाता है।पिछले साल यहाँ बोहार के दो सौ से अधिक पौधे तैयार किये गए थे।इसी तरह कोइलार भाजी, कुर्मा भाजी, व अन्य सभी प्रकार की देशी किस्म की भाजियों का बीज संग्रहित किये गए हैं।बॉक्सभाजियों के रेशे से बनाई जाती है कपड़ा और राखी।किसान स्कूल में बिहान की महिलाओं के सहयोग से अनेक प्रकार के भाजियों के अवशेष से रेशे निकालकर न सिर्फ कपड़ा बनाने का काम किया जा रहा है बल्कि रंग बिरंगी राखिया भी बनाई जाती है। यहाँ पर इस समय बुनकर रामाधार देवांगन के सहयोग से चेच भाजी और अमारी भाजी का कपड़ा बनाई गई है। इसी तरह अन्य भाजी चरोटा भाजी समेत अन्य भाजियों के अवशेष से कपड़ा और अन्य सामग्री बनाने का प्रयास निरंतर जारी है।
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