भिलाई (ट्रैक सीजी न्यूज/सतीश पारख
रमजान के इस मुबारक महीने में पहला सप्ताह पूरा होने को हैं। रोजेदार मस्जिदों में नमाज पढ़ने,इफ्तार करने ओर विशेष नमाज तरावीह पढ़ने पहुंच रहे हैं। घरों में भी इबादत जारी है। मर्कज़ी मस्जिद पावर हाउस कैंप-2 में तरावीह की नमाज के बाद शेखुल हदीस हजरत मौलाना जकरिया रहमतुल्लाह की तस्नीफ की गई किताब फजाईले रमजान मुबारक पढ़कर लोगों को उसकी फजीलत बताई जा रही है। इस दौरान इमाम हाफिज कासिम बस्तवी ने बताया कि हजरत मोहम्मद सल्लाहो अलैहि वसल्लम ने रमजान माह के बारे में बताया कि जिसका खुलासा ये है कि रमजान मुबारक महीना में तीन अशरे (10 दिन) होते हैं। अव्वल हिस्सा दस दिन रहमत, दूसरा (दरमियान हिस्सा) मगफिरत, तीसरा जहन्नुम (नरक) की आग से छुटकारा है। ये महीना सब्र का है इसके रोज़ फ़र्ज़ है। हां, कोई बीमार है या सफर में है तो उसको छुट है लेकिन बीमारी से ठीक होने के बाद सफर से आने के बाद उसको पूरा करें। इस महीने के साथ अल्लाह को खास मुनासिबत (लगाव) है क्योंकि प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि वसल्लम पर कुरआन रमजान मुबारक महीना में नाज़िल होना शुरू हुआ। फिर रफ्ता रफ्ता 23 साल में आसमानी दुनिया से फरिश्ते जिब्राइल अलैहिस्सलाम के जरिए हजरत मोहम्मद सल्लाहो अलैहि वसल्लम पर भेजा गया। उन्होंने कहा कि कुरआन इंसानियत को सीधा रास्ता बताने वाली किताब है। रोजा रखने से इंसान को संयम, एकाग्रता, मानवता एवं मानवीय संवेदना का एहसास,माफ करना बर्दाश्त करना भूख का वास्तविक अर्थ स्वरूप एहसास पैदा होता है। रोजा तकवा सिखाता है जो केवल अल्लाह के डर से पैदा होता है।