मातृ-पितृ दिवस पर विशेष लेख”जीवन में शिखर छूना है तो माता पिता का आशीर्वाद जरूरी है”मातृ-पितृ यह संस्कृत शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ होता है माता – पिता। इस संसार में हमारा जन्म माता-पिता भगवान से भी बढ़ कर होते हैं। माता-पिता हमारे जीवन का आधार है और वही हमारे सच्चे गुरु और मित्र होते हैं। शास्त्रों में भी मत-पिता की सेवा करके ही श्री गणेश जी देवों में प्रथम पूजन के अधिकारी बने। श्रवण कुमार भी अपने माता-पिता कांवर ले कर तीर्थ यात्रा पर निकले थे जो अमरत्व को प्राप्त हुए। ध्रुव जैसे बालक ने भी अपने माता-पिता के आज्ञा का पालन करके आज सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है। माता-पिता के दिये हुए संस्कारों पर चलकर ही हम अपना जीवन धन्य कर सकते हैं। माता की ममता और पिता के अनुशासन से ही बच्चों का जीवन महान बनता है।महर्षि वेदव्यास द्वारा संस्कृत भाषा में रचित पद्य पुराण के सृष्टि खण्ड में बताया गया है – सर्वतीर्थमयी माता, सर्वदेव मयः पिता।मातरम पितरं तस्मात, सर्वयत्नेन पुजयेत ।।अर्थात माता सभी तीर्थों से बढ़कर है और पिता स्वयं देवताओं का स्वरूप है। इसलिय सभी प्रकार से श्रद्धापूर्वक माता- पिता का पूजन करना चाहिए. जो माता-पिता की प्रदक्षिणा करता है उसके द्वारा सातों द्वीपों से युक्त पृथ्वी की परिक्रमा हो जाती है। इसलिय भगवान श्री गणेश जी ने भी भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की थी।छत्तीसगढ़ में भी पूर्व मुख्यमंत्री जी ने 9 फरवरी 2015 को मातृ-पितृ दिवस मनाने आदेश किये। तब से 14 फरवरी को मातृ- पितृ दिवस मनायजता है। माता- पिता अपने बच्चों के लिये आदर्श होते हैं। बच्चे जीवन भर माता-पिता के ऋण से उऋण नही हो सकते। शास्त्रों के अनुसार माता-पिता के चरणों को ही तीर्थ स्थान म आ गया है।इसलिय सभी जनों को चाहिए कि माता-पिता की पूजा सिर्फ मातृ-पितृ दिवस के ही दिन न करके जीवन भर करना चाहिए। क्योंकि सभी माता-पिता अपने बच्चों की भलाई ही चाहते हैं। बचपन से ही जीवन मूल्यों की शिक्षा देते हैं। और यही जीवन मूल्य की शिक्षा हमें संस्कार वान बनाते हैं, समाज मे स्थान दिलाते हैं और बुरे समय में हमारे पथ प्रदर्शक बनते हैं। माता -पिता में द्वारा दिये गए उलदेश, ज्ञान ही हमारे जीवन पर अमिट छाप छोड़ती है। और माता-पिता के आशीर्वाद से ही ह। जीवनमें फलीभूत होते हैं। अस्तु अपने -अपने माता-पिता का नित्य प्रतिदिन यथयोग्य पूजन करें। इस मातृ-पितृ दिवस पर मैं भी सर्व मातृ-पितृ को सादर नमन करती हूँ। मातृ-पितृ देवोभ्यो नमः। भवदीयलता वैष्णवशिक्षिका (गाइड केप्टिन)आशिबाई गोलछा शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला महासमुन्द
मातृ-पितृ दिवस पर विशेष लेख”जीवन में शिखर छूना है तो माता पिता का आशीर्वाद जरूरी है”
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