नंदकुमार साय जनप्रतिनिधि वर्ग मे उच्च शिक्षा वाले है आदिवासी नेता की छवि लेकर वे चर्चा में बने रहते है। भाजपा से मोहब्बत की डगर मुश्किल से छुटी थी और वे कांग्रेस सरकार मे आईसीडीआईसी के चेयरमैन बने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ भाजपा को लताडते रहे । अचानक कांग्रेस सरकार के पतन के बाद वे अपना चेयरमैन पद छोड़ सकते थे लेकिन कांग्रेस से इस्तीफा देकर वे क्या साबित करना चाहते हैं। और अब कौनसी आशाएं शेष है जिन्हें भूनाने के लिए अभी से जमीन की तलाश कहे या बदलीं हूई सत्ता के साथ अपने पुराने रिश्ते निभाने की ललक खैर जो भी हो ये उनका निर्णय है लेकिन राष्ट्रीय चुनाव आयोग को इस प्रकार के इस्तीफा के बाद फिर से अन्य दल की तलाश करने वाले आकांक्षाओं से भरे नेताओं पर,अनुचित परंपरा पर अंकुश लगाने की जरूरत पर अपना दृष्टि कोण की शुरुआत करनी चाहिए क्योंकि जैसा की होता आया है जनता को इतना सोचने का वक्त कहा होता है की कौन कहाँ से इस्तीफा देकर कहा जाता है यह काम चुनाव आयोग का हैं और एक बार फिर से चुनाव आयोग को इस विषय पर अपना मत स्पष्ट करना चाहिए।।
नंदकुमार साय का काग्रेंस से इस्तीफा महज वक्त को देखकर पाला बदलना या फिर और आशाएँ बाकी है। (आर के सोनी छत्तीसगढ़ रायपुर)
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