रायपुर । छत्तीसगढ़ की जनता ने मोदी की गारंटी का लिटमस टेस्ट कर लिया। आखिरकार कका़ के भरोसे पर मोदी की गारंटी भारी पड़ गई।
अब नजरें 2024 के लोकसभा चुनाव पर है। मोदी मैजिक के दम पर हैट्रिक का जोखिम मोदी ने खुद उठाया है। प्रधानमंत्री मोदी खुद दावा कर रहे है कि उनकी हैट्रिक तय है। विधानसभा चुनाव से निकला जनादेश बताता है कि मोदी की जनता में गहरी पैठ हो गई है । जनता मोदी की सुशासन व विकास की राजनीति के साथ है । हिंदुत्व की जगह राजनीति में गहराई से बन चुकी है। कांग्रेस गठबंधन के तुष्टिकरण के जवाब में हिंदू वोटो का भाजपा के पक्ष में ध्रुवीकरण
सबने देखा। हिंदी पट्टी राज्यो में मोदी बनाम कांग्रेस संग्राम में मोदी की जीत निश्चित दिखती है ।
देश का माहौल अभी ऐसा भी नहीं है जैसा मोदी विरोधी मीडिया और विपक्ष दिखाता है । आधी आबादी यानी महिलाएं और लाभार्थी वर्ग के पास अब मोदी पहला विकल्प बन चुका है।
वहीं ओबीसी मतदाता भी मोदी पर यकीन करते दिख रहा है। तभी छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल का ओबीसी प्रेम कांग्रेस पर भारी पड़ गया। क्योंकि उन्होंने पिछड़ा मोह के चलते आदिवासियों को वाजिब दर्जा नहीं दीया। यही नहीं, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने जातिगणना का वादा किया था, जिसे लोगो ने स्वीकार नहीं किया।
मालूम हो राज्य में करीब 41 फीसद ओबीसी मतदाता है। इसके बावजूद भाजपा छत्तीसगढ़ में 46 फ़ीसदी मतों के साथ 54 सीट जीतने में कामयाब रही। वहीं कांग्रेस 42 फ़ीसदी मतों के साथ 35 सीटों पर सिमट गई। यह नहीं भुला जा सकता कि पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा नरेंद्र मोदी ने हीं दिया।
चुनाव के परिणाम बताते हैं कि देश के आर्थिक व सामाजिक विकास के मोदी के ढांचे को पसंद किया जा रहा है। इसे बदलते भारत की तस्वीर कहीं जा सकती है जो जन आकांक्षाओं के अनुरूप है । गरीब ,महिला, किसान और युवा मोदी ने इन चार जातियों को अपना नया फार्मूला बताया है। यह सियासत की इंजीनियरिंग का अचूक मोहरा है । देश में हिंदुत्व के इर्द-गिर्द एक सशक्त माहौल है , जिसका प्रतिनिधित्व मोदी करते हैं। कांग्रेस यह समझने में लगातार गलती करते आ रही है । हालांकि कांग्रेस ने इन चुनाव में हिंदुत्व से जुड़े कई वायदे वा घोषणाएं की, पर उसके सामने दूसरी चुनौती यह आई कि वह साबित करें कि हिंदुत्व प्रेरित राष्ट्र बनाने पर वह भाजपा से आगे कैसे हो सकती है
कांग्रेस को ‘मोदी है तो मुमकिन है’ की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भूपेश है तो भरोसा है का नारा नहीं गाना चाहिए था ; क्योंकि लोगों ने मोदी की गारंटी को ज्यादा तरजीह दी
आज के समय में किसी भी अन्य दल के पास कोई कमर्शियल लीडरशिप नहीं है। न हीं वैचारिक स्पष्टता है। लिहाजा हिंदी पट्टी की राज्यों में मोदी बड़ा फैक्टर बन गए हैं। आज छत्तीसगढ़ राज्य की अधिकांश सीटों पर भाजपा की विजय हुई है तो उसकी वजह ना सत्ता विरोधी लहर थी और नहीं भाजपाई प्रत्याशियों के चेहरे। ठोस वजह मोदी का चेहरा था। इसका लाभ भाजपा को शत प्रतिशत मिला। नतीजों से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है की पांच माह बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में मोदी यदि प्रदेश की पूरी ग्यारह सीटों पर भी जीत हासिल करते है तो यह अतिश्योक्ति नहीं होंगी क्योंकि मोदी के मुमकिन पर जनता का उन पर भरोसा भी बढ़ा है जिसके चलते भूपेश है तो भरोसा है इस नारे को जनता ने प्रदेश में नकार दिया जिसका परिणाम सबके सामने है ।
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