सरगुजा। शिक्षा स्तर को ऊंचा उठाने शासन हरसंभव प्रयास कर रही है। निःशुल्क पुस्तकें गणवेश, मध्याह्न भोजन छात्र वृत्ति बेहतर सुविधा युक्त छात्रावास स्कूल भवन, शौचालय बना, बेसिक तौर पर शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाने के नजरिए से बेहिसाब राशि खर्च कर स्कूली बच्चों को बेहतर सुविधा उपलब्ध करा रही है। ताकि पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को तालीम हासिल करने में किसी प्रकार की असुविधा न हो। लेकिन शासन द्वारा किये जा रहे बेहिसाब खर्च के बाद कारगर नतीजा सामने नहीं आ रहा है। स्कूल विद्यालयो में कुछ ना कुछ कमी होने की शिकायते होती रही है। इसी फेहरिस्त में जंप लखनपुर क्षेत्र के ग्राम चोडेया के आश्रित ग्राम तूरगा शासकीय प्राथमिक शाला फकत एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहा है। स्कूल में पदस्थ प्रधान पाठक मिंज एवं ग्रामीणो से मिली जानकारी के मुताबिक स्कूल में कक्षा पहली से पांचवीं तक अध्ययनरत बच्चों की दर्ज सख्या 69 है। लेकिन कक्षा पांचवीं तक एक शिक्षक ही बच्चों अध्ययन करा रहा है। विभाग द्वारा बनाये गये सेटअप के आधार पर स्कूल में शिक्षको की जितनी तादाद होनी चाहिए उस हिसाब से नाकाफी है । ब्लाक क्षेत्र के कहीं कहीं स्कूलों में बच्चों से अधिक शिक्षकों की संख्या है। और कहीं शिक्षकों का टोटा बना हुआ है ,बच्चे अधिक है। इस नाइतजामी का नमूना है तूरगा शासकीय प्राथमिक स्कूल फकत एक शिक्षकिए होकर रह गया है। इतना ही नहीं पर्याप्त स्कूल भवन नहीं होने से बच्चो को छोटे से अतिरिक्त कक्ष में अपना तालीम हासिल करना पड़ रहा है। स्कूल भवन ,शिक्षक नहीं होने जैसे पसरी अव्यवस्थाएं को लेकर अध्ययनरत नौनिहालों के गार्जियनो ने ग्राम सरपंच को अवगत कराया परन्तु को परिणाम नहीं निकला। साथ ही स्कूल में पदस्थ शिक्षक का बताना है कि शाला में शिक्षक की कमी के बारे में विभाग के अधिकारियों को अवगत कराया गया है लेकिन कोई पहल नहीं हुई है। शिक्षकों के कमी के कारण बच्चों का पढ़ाई प्रभावित हो रहा है वहीं भविष्य दांव पर खतरे में है। सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक शिक्षक कार्यालयीन कार्य के अलावा पांच कक्षाओं के बच्चों को किस तरह पढ़ाता होगा।जब शिक्षक कार्यालयीन कार्य से कहीं चला जाता है तो स्कूल बंद हो जाता है। इस अव्यवस्था को देखते हुए स्कूल में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं के अभिभावकों ने शिक्षक संख्या बढ़ाने की मांग शासन प्रशासन से किया है
एक शिक्षक के भरोसे भविष्य तलाश रहे बच्चे स्कूल भवन की दरकार।
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