वृक्ष कभी इस बात पर व्यथित नहीं होता कि उसने कितने फल खो दिए, वह सदैव नए फलों के सृजन में व्यस्त रहता है। जीवन में कितना कुछ खो गया, इस पीड़ा को भूलकर क्या नया कर सकते हैं। इसी में जीवन की सार्थकता है। प्रकृति और वृक्षों से मनुष्य जीवन को होने वाले लाभों से हमारे पूर्वज ऋषि मुनि सभी परिचित थे। इसलिए हिंदू धर्म में वृक्षों की पूजा करना हमारी संस्कृति और त्योहार रहे हैं। आंवला से मिलती है लंबी आयु, आरोग्य और धन, इसीलिए कार्तिक मास की नवमी तिथि को आंवला वृक्ष की पूजा कर उसके नीचे भोजन कर आंवला वृक्ष में वास करने वाले सभी देवी-देवताओं से अच्छी स्वास्थ्य एवं मंगल कामना की जाती है।छत्तीसगढ़ी स्वर्णकार महिला मंडल द्वारा आंवला नवमी समारोह एवं दीपावली मिलन बड़े धूमधाम से मनाया गया। पारंपरिक परिधानों से सुसज्जित सोनी(स्वर्णकार) समाज की महिलाओं ने आंवला वृक्ष की परिक्रमा, पूजन एवं आरती के साथ ही दीपावली की मंगल कामना के साथ एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हुए सर्वे भवन्तु सुखिनः की कामना की। भोजन के उपरांत मनोरंजन के तहत महिलाओं द्वारा कुर्सी दौड़ एवं सिक्का उछालने की प्रतियोगिता हुई। कुर्सी दौड़ में प्रथम ममता सोनी, द्वितीय कुंती सोनी रही। सिक्का प्रतियोगिता में प्रथम डॉली सोनी, द्वितीय जयश्री स्वर्णकार रही। बच्चों की प्रतियोगिता में प्रथम शौर्यदीप सोनी, द्वितीय आर्यन सोनी, सांत्वना पुरस्कार आयुष, आयांश एवं पृथ्वीराज सोनी को प्राप्त हुआ। इस समारोह में सरला सोनी, राखी सोनी, कुंती सोनी, सरोज सोनी, डाली, दीक्षा, बरखा, पूर्णिमा, आशा, सारिका, शिखा सोनी, प्रतिमा, लता सोनी, नीता सोनी आदि उपस्थित रहे