जिला जांजगीर चांपाचांपा शहर में ऐसे कई बैंक कंपनियां हैं जो बाहर से आकर महिलाओं को साप्ताहिक लोन समूह बनाकर दी जा रही हैं। इन बैंकों का टारगेट छोटे-छोटे गांव और महिलाओं को समूह बनाकर लोन देने के काम करती हैं। जिससे महिलाएं साप्ताहिक लोन लेकर व्यवसाय करना तो चाहती हैं। लेकिन पैसा खत्म होते ही बैंकों की एजेंटों के द्वारा मानसिक रूप से दबाव बनाकर उगाही करने में लग जाते हैं। यही नहीं एजेंट के द्वारा साप्ताहिक लोन में हर सप्ताह किसतों 1400 से लेकर ₹1000 देना पड़ता हैं। ऊपर से चक्रवृद्धि ब्याज जोड़ा जाता हैं।बैंक एजेंट कंपनियां द्वारा यह भी कहा जाता हैं कि आपके घर में चाहे किसी का लाश पड़ीं हो तब भी आप को पैसा हम लोगों को देना पड़ेगा अब सोचने वाली बात यह है कि अगर किसी महिला के पास पैसा नहीं होता है तो बैंक कंपनियां एजेंट के द्वारा मानसिक आर्थिक रूप से दबाव बनाकर पैसा लिया जाता हैं अगर ऐसे में यदि कोई महिला पैसा देने में असक्षम होता हैं तो उसे गली कॉलेज देकर धमाका कर मजबूरन गलत काम करने के लिए प्रेरित करते हैं जिससे कई महिलाएं का घर संसार टूट चुके हैं। इन कम्पनियों के द्वारा एजेंट बनाकर महिलाओं को टारगेट कर उन्ही ग्रुप को मोटी रकम ब्याज दर पर लोन देते हैं।ताकि30 से 40 %तक ब्याज की वसूली कि जा सकें। भले ही गरीब परिवार की रोजी रोटी न चले लेकिन ब्याज भर भर के लेते हैं। यदि समूह की एक भी महिला साप्ताहिक या मासिक किस जमा नहीं कर पाती हैं तो समूह के लीडर पर बैंक एजेंट कंपनी के द्वारा दबाव बनाते हैं ब्याज न चुकाने पर घर की सामग्री उठा ले लेने की धमकी देते हैं। ऐसे में कई सारे घटनाएं महिलाओं के प्रति घट चुकीं हैं। इन बैंक कंपनियों के एजेंटों द्वारा कई गलत कार्यों को घटित कर अपना मकसद को अंजाम देते हैं जिला प्रशासन को इन बैंक कंपनीयो ऊपर कार्यवाही करनी चाहिए ताकि बैंक कंपनियां के द्वारा जो महिलाओं को समूह लोन देती है बैंक कंपनियों के सभी दस्तावेज को जिला पुलिस प्रशासन को जांच कर कार्यवाही करना चाहिए आम जनता इन कंपनियों के एजेंट से राहत की सांस ले सकें अंडरलाइन पूरा को करना है बैंक कंपनियों के द्वारा इंग्लिश में कई दस्तावेजों को महिला समूह बनाकर परत दर परत साइंन सिग्नेचर अंगूठा फोटो आधार कार्ड पैन कार्ड की कोरा स्टैंप मांग की जाती शासन प्रशासन की कमजोरीयां ऐसे बैंकों कंपनियों को शासन प्रशासन कार्रवाई करने से अपनी हाथ खड़े कर देते हैं भले ही एक गरीब परिवार की लोन का कर्ज के न पटाने पर उनकी मानसिक आर्थिक स्थिति एवं परिवार के शोषण हो रहा हो लेकिन जिला प्रशासन को इस ओर ध्यान आकर्षि कभी भी नहीं करती हैं इन बैंक कंपनियां के एजेंटों के सामने पुलिस प्रशासन है लाचार पुलिस प्रशासन के पास इन बाहरी बैंकों के कंपनियों का जरूरी दस्तावेज एवं एजेंटों का संपूर्ण जानकारी नहीं होने से ऐसे में कई बैंक एजेंटों के द्वारा गलत कृतियों को अंजाम देकर रफू चक्कर हो जाते हैं जिस पर पुलिस प्रशासन उनके सामने गूंगे बहरे असहाय है नजर आ रही है
साप्ताहिक समूह लोन के चक्कर में कई महिलाए हैं परेशान, साप्ताहिक लोन महिला समूह को बैंक कंपनियों के एजेंटों द्वारा आर्थिक मानसिक शोषण कर अपना एजेंडा सीधा करने लागे हैं।
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