छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2023 का माहौल अब दिखना शुरू हो गया है। प्रत्याशी तय होने के बाद राजनीतिक बिसात पर शह और मात का खेल शुरू हो गया है। नाराज कार्यकर्ताओं की मान मनौव्वल के साथ चुनावी रणनीति जमीन पर उतरने लगी है। छत्तीसगढ़ में यह चुनाव मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरों पर ही लड़ा जा रहा है ।अब मतदाता भी अपने हितों को अच्छी तरह समझने लगे हैं। साथ ही वो राष्ट्रीय हितों पर भी संवेदनशील नजर रखते हैं । आम जनों में मोदी सरकार द्वारा धारा 370 हटाने, राम जन्मभूमि मंदिर बनवाने, चंद्रयान मिशन समेत कई उपलब्धियां को याद कर रहे हैं । वही छत्तीसगढ़ के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपलब्धियों की भी चर्चा है। भूपेश सरकार में लोगों की प्रसन्नता, खुशहाली और उम्मीदें बढ़ी है। तो वहीं , बहुत सारे लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में भी नए भारत का उज्जवल भविष्य देख रहे हैं । दुर्ग जिले की 6 सीटों पर मुकाबला अभी बराबरी का है। वह इस तरह की तीन सीटों पर कांग्रेस मजबूत दिख रही है तो तीन सीटों पर भाजपा का जोर चलता दिख रहा है।कह सकते है की सभी छह सीटों पर किसी को कमजोर नही आंका जा सकता।टिकट वितरण में आगे रही भाजपा ने चुनावी तैयारियां भी पहले ही शुरू कर दी है। कांग्रेस की तैयारियां अब शुरू हो रही है । सच ये है कि अधिकांश कांग्रेस प्रत्याशियों ने ग्राउंड वर्क शुरू कर दिया है। अब टिकट फाइनल होने के बाद उनकी तैयारियों में तेजी आ गई है। दुर्ग जिले में पाटन, दुर्ग ग्रामीण और अहिवारा सीट पर कांग्रेस की स्थिति मजबूत बताई जा रही है। शेष तीन सीट दुर्ग शहर, वैशाली नगर और भिलाई में भाजपा को मजबूत बताया जा रहा है किंतु सभी छह सीटों का आंकलन करें तो किसी को कमजोर नही आंका जा सकता मतलब ऊंट किस करवट बैठेगा यह कहना मुश्किल सा लगता है ।पाटन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सामने सांसद विजय बघेल चुनाव लड़ रहे हैं। पाटन क्षेत्र में कराए गए बेहिसाब विकास कार्यों के कारण पाटन क्षेत्र की जनता भूपेश की मुरीद बना गई है। यहां हार जीत का अंतर बहुत कुछ संदेश देगा। पुराने प्रतिद्वंदी होने के कारण विजय बघेल की भी जनता के बीच अच्छी पैठ है ।दुर्ग ग्रामीण सीट पर गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू व ललित चंद्राकर आमने सामने हैं। ताम्रध्वज साहू का पुराना अनुभव, चुनाव प्रबंधन और क्षेत्र में विकास कार्य उनकी ताकत बताई जा रही है। पाऊवारा का होने के कारण उनका दुर्ग ग्रामीण के मतदाताओं से जीवंत संपर्क भी है भले वो पंद्रह साल धमधा और बेमेतरा से विधायक रहे। भाजपा के युवा प्रत्याशी ललित चंद्राकर के चुनावी तेवर भले फीके लग सकते हैं। किंतु लोग बीस सालों से उन्हे अपने बीच हर छोटे बड़े आयोजनों में देखते आ रहे है और उनकी व्यवहार कुशलता की कायल है ।ललित पिछले डेढ़ दशक में तीन चुनाव से दावेदार रहे हैं और इस दौरान उन्होंने क्षेत्र में जनाधार बढ़ाया भी है । क्षेत्र के कुछ मतदाताओं का कहना है कि ललित की सक्रियता के बावजूद चुनावी मुकाबले में ताम्रध्वज साहू ताकतवर साबित हो सकते हैं। किंतु वर्तमान विधायक होने और परिवार की जरूरत से ज्यादा हर मामलों में दखल का लाभ सीधे ललित चंद्राकर को मिलता दिखाई दे रहा है इसलिए उन्हें कम भी नहीं आंका जा सकता। आम आदमी पार्टी के संजीत जो मरौदा क्षेत्र के है ,जनता कांग्रेस जोगी से ढालेस साहु रिसामा का नाम आ रहा है जो अपने अपने क्षेत्रों में काफी सक्रिय है अब यह सोचनीय विषय है की आप और जोगी कांग्रेस के प्रत्याशियों के मैदान में होने से इसका लाभ किसे ज्यादा मिलता है ।इसी तरह दुर्ग शहर में कांग्रेस विधायक अरुण वोरा की सक्रियता और सरलता के सभी प्रशंसक है। बीते पांच साल के कार्यकाल के दौरान उनकी कई खामियां सामने भी आई हैं। पहली बार दुर्ग में वोरा को कांग्रेस खेमे से ही कई स्तरों पर चुनौती मिल रही है। गजेंद्र यादव को आरएसएस के जरिए टिकट मिली है। भाजपा प्रत्याशी गजेंद्र यादव को इलेक्शन मैनेजमेंट में एक्स्ट्रा पॉवर मिल रहा है। यहां वोरा की स्थिति मजबूत होने के बावजूद मुकाबला कांटे का होना तय है। यह पहला चुनाव है जो अरुण वोरा बाबूजी मोतीलाल जी वोरा की अनुपस्थिति में लड़ रहे है ।बाबूजी की तरह मैनेजमेंट में वो बहुत कमजोर है अब शहर के बहुतायत समाजों को वो कैसे मैनेज करते हैं इस पर उनका रिजल्ट तय होगा।भिलाई नगर में विधायक देवेंद्र यादव ने पिछला चुनाव 2849 वोटों से जीता था। पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय के साथ इस बार भी उनका मुकाबला होगा। उन्होंने पिछले चुनाव में मिली हार से सबक लेकर बीते पांच साल में खामियों का गड्ढा पाटने में पूरी ताकत झोंकी है। पांडेय प्रदेश भाजपा के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं। हार को जीत में बदलना जानते हैं। वहीं सक्रियता के साथ विकास कार्यों का नया आयाम गढ़ने के बावजूद ईडी के छापे से देवेंद्र यादव की छवि पर बट्टा लगा है। देवेंद्र समर्थकों के कारनामें भिलाई की फिजाओं में गूंजते रहे हैं। इन कारणों से देवेंद्र की टिकट को लेकर शुरू से संशय की स्थिति रही। यही कारण है कि राजनीतिक विश्लेषकों ने अभी से भिलाई की सीट को ट्रबल मान रखा है। हालाकि पार्टी ने देवेंद्र यादव को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है किंतु ईडी मामले में एफआईआर में उनका नाम आने को क्षेत्र की जनता किस रूप में देखकर किस ओर अपना मूड करती है यह चुनाव के रिजल्ट पर तय होगा।वैशाली नगर से विधानसभा चुनाव के लिए बिल्कुल नए रिकेश सेन वैशाली नगर क्षेत्र में भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं । जबकि कांग्रेस के भिलाई जिला कांग्रेस अध्यक्ष मुकेश चंद्राकर चुनाव मैदान में हैं। यह क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता है, लेकिन निगम चुनाव में कांग्रेस को यहां से काफी सीटें मिलने से पार्टी की उम्मीद बढ़ गई है। चुनाव प्रबंधन और आम जनता के बीच रिकेश ज्यादा लोकप्रिय है। हालांकि विरोधियों के आरोप और वायरल हो रही वीडियो उनकी साख पर बट्टा लगा रहे है। वहीं मुकेश चंद्राकर ने पांच साल पहले ही राजनीतिक डगर पर कदम रखा है। मुकेश चंद्राकर राजनीति के चाणक्य के नाम से जाने जाने वाले दाऊ वासुदेव चंद्राकर के पुत्र लक्ष्मण चंद्राकर के दामाद है तथा चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल के सीईओ स्व डॉक्टर एमपी चंद्राकर के साले हैं ।उनके परिवार की राजनीतिक पृष्ठभूमि काफी मजबूत होने और सीएम भूपेश बघेल से करीबी संबंधों के कारण उन्हें उम्मीदवार बनाया गया है। संगठन की राजनीति में मुकेश चंद्राकर लंबे समय से जुड़े हुए हैं। कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश चंद्राकर सरल, सहज मिलनसार व्यक्तित्व की धनी है। चिकित्सा एवं अन्य क्षेत्रों में कार्य करने के चलते मुकेश चंद्राकर का अनुभव विस्तृत है । राजनीति की समझ उन्हें विरासत में मिली है । इस चुनाव में उनके पीछे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित कांग्रेस के कई बड़े लोग खड़े हैं । धनबल में भी मुकेश चंद्राकर कम नहीं है । भाजपा प्रत्याशी रिकेश सेन को तगड़ी टक्कर देने की क्षमता मुकेश चंद्राकर में है। कई सालों से वे भिलाई जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं । भिलाई की जमीनी संरचना से भली भांति वाकिफ है । कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से उनका लगातार संपर्क बना हुआ है इसका फायदा चुनाव में उन्हें मिल सकता है।अहिवारा क्षेत्र में कांग्रेस ने भिलाई चरौदा के महापौर निर्मल कोसरे को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा से पूर्व विधायक डोमन लाल कोर्सेवाड़ा चुनाव मैदान में है। डोमनलाल कोर्सेवाड़ा के अनुभव और क्षेत्र में काफी अच्छी पैठ होने के बावजूद निर्मल कोसरे कांग्रेस के उभरते ऊर्जावान चेहरा है। स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उनकी प्रतिभा पहचान चुके हैं और प्रदेश की राजनीति में उनका उपयोग कर रहे हैं। पार्टी नेताओं से हरी झंडी मिलने के बाद निर्मल कोसरे ने एक माह पहले से ही चुनावी तैयारियां शुरू कर दी थी। महापौर के रूप में भिलाई चरौदा क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहने और विकास कार्य कराने के साथ साथ निर्मल छवि के कारण उनकी स्थिति मजबूत है। भाजपा प्रत्याशी डोमन लाल कोरसेवाडा पहले भी इस सीट पर विधायक रह चुके हैं । अहिवारा विधानसभा क्षेत्र में सतनाम समाज की बहुलता है । डोमन लाल कोरसेवाडा का सतनाम समाज से लगातार कई वर्षों से सतत संपर्क बना हुआ है। अहिवारा विधानसभा की नस-नस से वाकिफ डोमन लाल कोर्सवाडा को कमतर नहीं आंका जा सकता। वो पूरे क्षेत्र में गुरुजी के नाम से जाने जाते है क्योंकि राजनीति में कदम रखने के पूर्व वो शिक्षक भी रह चुके है । सादगी पूर्ण जीवन और मिलनसार गुरुजी राजनीति के बजाय सोशल इंजीनियरिंग के भी धुरंधर क्षेत्रीय नेता है । पिछले दफा उनके विधायक का कार्यकाल संतोषजनक रहा। मगर इस बार कांग्रेस की सरकार में उनके सामने करने के लिए बहुत कुछ होगा इसलिए अहिवारा से भी किसी को कम नही आंका जा सकता।
दुर्ग जिले की छह विधानसभा सीटों पर कांग्रेस भाजपा में मुकाबला बराबर का होगा किसी को कमजोर आंकना होगी भूल,रिजल्ट चौंकाने वाले हो सकते हैं,आम आदमी पार्टी और जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी भी होंगे मैदान में।
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