90 सीटों वाला छत्तीसगढ़ अकेला ऐसा राज्य है, जहाँ दो चरणों में मतदान होंगे। पहले चरण में राज्य की उन 20 सीटों पर 7 नवंबर को मतदान होंगे, जो माओवाद से प्रभावित हैं। चुनाव आयोग ने माओवादी क्षेत्रों में मतदान करने इस बार भरपूर तैयारी की है। पूर्व की अपेक्षा इस चुनाव में माओवादियों पर सुरक्षा बल हमेशा की तरह भारी पड़ेंगे । छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने माओवाद से निपटने में जरूरी कदम जारी रखा है। मगर छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार की नक्सलियों से लड़ाई में हानि का स्तर चिंताजनक है। 23 साल उम्र के छत्तीसगढ़ का यह विधानसभा चुनाव अहम है। भारत देश के साथ जिस तरह से छत्तीसगढ़ भी बदल रहा है और विकसित राज्यों की श्रेणी में जा खड़ा होने तैयार हो रहा है, तब यह मतदान साबित करेगा की छत्तीसगढ़ की सरकारों का रवैया नक्सली मुद्दे पर कैसा रहा।काबिले गौर है, छत्तीसगढ़ व आसपास के राज्य, जैसे महाराष्ट्र, उड़ीसा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में नक्सली हिंसा की घटनाओं में कमी आई है, वैसी कमी छत्तीसगढ़ में नहीं दिखाई दे रही है । ऐसा भी नहीं है कि भूपेश सरकार ने नक्सलियों पर शिकंजा नहीं कसा है। बेशक केंद्र सरकार एवम छत्तीसगढ़ की सरकार एवम उनका सरकारी तंत्र सख्त हुआ है । संभव है कि छत्तीसगढ़ में भी सरकार और नक्सलियों की लड़ाई ज्यादा दिन तक न चले। भारत के इस युग में देश के आम जनमानस नक्सली घटनाओं को पसंद नहीं कर रही हैं। यह सच है कि जहां भी नक्सली मूवमेंट रहा, वह राज्य, वह इलाका विकास की गति में पिछड़ता गया। अंतरराष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि आने वाले भारत का स्वर्णिम काल आने वाला है। कुछ बड़ों मसलों पर नियंत्रण पा लिया जाए, तो भारत जल्द दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की राह पर चल पड़ेगा। हालांकि मंजिल इतना करीब नही, मगर समाज और सरकार के हौसले बुलंद हो तो मंजिल पाई जा सकती है। *भूपेश सरकार में 1302 बार टकराए माओवादी आंकड़े। चिंताजनक* राज्य के गृह विभाग के आँकड़े बताते हैं कि कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में 1 जनवरी 2019 से इस साल 15 जून तक के साढ़े चार सालों में राज्य में माओवादी हिंसा की 1302 घटनाएँ हुई हैं। इन हिंसक घटनाओं में माओवादियों के हमले में सुरक्षाबलों के 139 जवान मारे गए हैं।जो आंकड़े चिंता जनक और प्रदेश के विकास में बाधक है जिनका जड़मूल खात्मा ही प्रदेश को विकसित प्रदेश बनाने में महती भूमिका निभा सकता है ।
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