- संतों के सानिध्य में कुछ लोगों को समस्या का समाधान मिलता है, लेकिन कुछ लोग भाग्यशाली होते हैं जिनका संयम का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। 25 वर्षीया प्रतीक्षा भंडारी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते करते वैराग जागृत हुआ, भाव बने और संयम के मार्ग पर चलने की भीष्म प्रतिज्ञा ले ली। 7 अक्टूबर को प्रतीक्षा भंडारी के परिजनों ने लालगंगा पटवा भवन में उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि को आज्ञा पत्र सौंपकर अपनी पुत्री को साध्वी बनने की स्वीकृति दे दी।रायपुर शनिवार को लालगंगा पटवा भवन में एक और अनोखा नजारा देखने को मिला। जिनशासन के जयकारों के साथ लालगंगा पटवा भवन से मुमुक्षु प्रतीक्षा भंडारी का वरघोड़ा निकला। वरघोड़ा के साथ रायपुर श्रमण संघ के सदस्यों संग सकल जैन समाज और अर्हम अष्टमंगल के ट्रेनर्स जयकारे लगते चल रहे थे। टैगोर नगर की परिक्रमा करते हुए वरघोड़ा वापस लालगंगा पटवा भवन पहुंचा। यहां जयकारों के साथ मुमुक्षु बहना का स्वागत हुआ। रायपुर श्रमण संघ ने मुमुक्षु प्रतीक्षा का बहुमान किया। आपको बता दें कि आष्टी (महाराष्ट्र) निवासी भंडारी परिवार की लाड़ली बेटी प्रतीक्षा भंडारी अर्हम अष्टमंगल की ट्रेनर हैं। उनके पिता सुशील कुमार भंडारी व्यवसायी हैं, तो उनकी माता भी अर्हम विज्जा की ट्रेनर हैं। लालगंगा पटवा भवन में मुमुक्षु प्रतीक्षा के दादा नवल भंडारी, रामचंद भंडारी, दादी सरला भंडारी, चाचा-चाची संतोष भंडारी व राजश्री भंडारी सहित पूरा परिवार इस यादगार पल के लिए उपस्थित था। मुमुक्षु के माता-पिता ने उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि के हाथों में अपनी पुत्री को संयम के मार्ग पर चलने की अनुमति का आज्ञा पत्र सौंपा। दीक्षा आज्ञा पत्र प्राप्त होने के बाद उपाध्याय प्रवीण ऋषि जल्द ही दीक्षा की तिथि घोषित करेंगे।मुमुक्षु प्रतीक्षा भंडारी ने बताया कि उन्हें इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते करते 2018-19 में वैराग जागा तो उन्होंने जैन भगवती दीक्षा ग्रहण करने का भाव परिवार के समक्ष रखा, तब परिजनों ने पहली प्राथमिकता शिक्षा को दी। माता-पिता को लगा कि यह क्षणिक भाव है, जल्द ही चला जाएगा। लेकिन भाव जब जागृत होते हैं तो उन्हें सुलाना नामुमकिन होता है। भाव तो बने हुए थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद भी भाव सोये नहीं, और प्रबल हो गए। चिचोंड़ी में तीर्थेश मुनि की गुरु मैया साध्वी सुनंदा म.सा. का चौमासा था, उनकी सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ, और यह अवसर ऐसा था कि मानों अंधे को आँख मिल गई हो। दो वर्षों तक साध्वी सुनंद म.सा. के चरणों में सेवा करते हुए दीक्षा का भाव व्यक्त किया। कहते हैं ना दृढ निश्चय को पूरा करने कायनात भी जुट जाती है। वैसा ही हुआ, पांच साल के इंतजार के बाद परिजनों ने प्रतीक्षा को साध्वी बनने की स्वीकृति दी। और आज उपाध्याय प्रवीण ऋषि को मुमुक्षु प्रतीक्षा को साध्वी बनने का आज्ञा पत्र उनके परिजनों ने सौंप दिया। मुमुक्षु प्रतीक्षा के परिजनों ने रायपुर श्रमण संघ को और संघ के अध्यक्ष ललित पटवा को इस भव्य आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। इस साल का चातुर्मास रायपुर श्रमण संघ और सकल जैन समाज के लिए यादगार बन गया है। एक से बढ़कर एक आयोजनों ने इस चातुर्मास को बेहद ख़ास बना दिया है। उन्होंने बताया कि आनंद महोत्सव में 1008 अट्ठाई, 1008 नवकार तीर्थ कलश अनुष्ठान और आज का दिन श्रमण संघ के लिए यादगार पल हैं।
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