उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने शुक्रवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि अगर आपका संकल्प मजबूत रहेगा तो असंभव कार्य भी संभव हो जाता है। कृष्ण, नील और कपोत लेश्या वाले व्यक्ति का संकल्प कभी मजबूत नहीं होता है, वे बड़ी जल्दी भटक जाते हैं। ये नीच लेश्या का चरित्र है।उपाध्याय प्रवर शुक्रवार को नीच लेश्या के बाद उच्चा लेश्या का वर्णन कर रहे थे। उन्होंने बताया कि जो चार कषाय को पतला करे और आत्मा का भान रखे वो तेजो लेश्या है। जो कीचड़ में भी कमल खिला दे वो पदम् लेश्या है। जो शुभ ध्यान में रमा दे, अशुभ ध्यान का त्याग करा दे, राग द्वेष से दूर रखे, वो शुक्ल लेश्या है। उपाध्याय प्रवर ने कहा कि अगर आप सोचें कि जो मैं कर सकता हूं, वो कर के ही रहूंगा, और करे बिना रुकूंगा नहीं, ये तेजो लेश्या है। तेजो लेश्या वाला कभी कभार अशुभ की प्लानिंग कर लेता है, लेकिन वह कर नहीं पाता है।1 अक्टूबर से शुरू हो रहा भव्य नवकार कलश अनुष्ठानरायपुर श्रमण संघ ने एक बार फिर इतिहास रचने की तैयारी कर ली है। जैसे 17 अगस्त को राष्ट्रसंत आचार्य आनंदऋषि मासा का जन्मोत्सव मनाते हुए आनंद महोत्सव में 1050 से ज्याद अट्ठाई का कीर्तिमान बनाया था, वैसे ही 2 अक्टूबर को भव्य नवकार कलश अनुष्ठान में भी नया कीर्तिमान बनने वाला है। उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि की पावन निश्रा में 1 अक्टूबर से लालगंगा पटवा भवन में नवकार कलश अनुष्ठान प्रारंभ हो रहा है। 1-2 अक्टूबर को आयोजित होने वाले नवकार तीर्थ कलश अनुष्ठान की तैयारियां पूरी हो गई हैं। नवकार तीर्थ कलश समिति के सदस्यों के अथक प्रयासों से यह आयोजन भव्य और ऐतहासिक होने वाला हैं। नवकार कलश अनुष्ठान में जुड़ने के लिए छत्तीसगढ़ सहित देशभर से जैन परिवार पहुँचने वाले हैं। इसके अलावा अमेरिका, लंदन, दुबई, ऑस्ट्रेलिया, से लगभग 100-150 श्रद्धालुओं के नाम आ चुके हैं। कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताते हुए ललित पटवा ने कहा कि 1 अक्टूबर को 24 घंटों का नवकार महामंत्र जाप होगा। इसके बाद 2 अक्टूबर को नवकार कलश अनुष्ठान सुबह 7.30 से 9 बजे संपन्न होगा। विदेश में बसे परिवारों के लिए इस अनुष्ठान से जुड़ने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था भी की गई है। अनुष्ठान के दिन उन्हें लिंक उपलब्ध कराया जायेगा, जिससे वे इस अनुष्ठान में अपने परिवार के साथ शामिल हो सकेंगे। वहीं नवकार कलश को सुरक्षित पहुंचाने के लिए भी रायपुर श्रमण संघ ने कूरियर की व्यवस्था की है, ताकि विदेश में बैठे जैन परिवारों तक यह कलश पहुंच जाए। पंचधातु नवकार कलश के लिए सहयोग राशि 3100 रुपए रखी गई
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