दिसंबर 2022 में जिससे बात करो, वही बात करता था कि अगली बार प्रदेश में फिर से कांग्रेस की सरकार आएगी . फरवरी में यह आंकड़ा 80 प्रतिशत तक हो गया . अब यह आंकड़ा 60 प्रतिशत तक पहुंच गया है . इस वक़्त 60 प्रतिशत लोग मानते हैं कि कांग्रेस की सरकार बनेगी , 20 प्रतिशत लोग संशय की स्थिति में हैं और करीब 20 प्रतिशत लोगों का कहना है कि अंतिम वक़्त में हवा बदल जायेगी और भाजपा सरकार बना लेगी . सन 2018 में 10 एजेंसियों ने चुनावी सर्वे किये थे और एक्ज़िट पोल में भी 10 में से केवल 5 एजेंसीज़ ने कांग्रेस की बढ़त दिखाई थी . केवल एक ने 60 सीट दिखाई थी और बाकी ने 45 से 50 सीट. भाजपा को भी 5 एजेंसीज़ ने आगे दिखाया था . ऐसे सर्वे के बाद भी कांग्रेस ने 90 में से 68 सीटें , भाजपा ने 15 सीटें , जोगी कांग्रेस ने 5 और बहुजन समाज पार्टी ने 2 सीटें जीत लीं थी. उस वक़्त कांग्रेस का वोट प्रतिशत 43 और भाजपा का वोट प्रतिशत 33 था . विशेषज्ञों के विश्लेषण के अनुसार , भाजपा के विरुद्ध सत्ता विरोधी लहर के अलावा कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र ने ट्रम्प के इक्के का काम किया . उसमें किसानों का ऋण माफ करना व धान का समर्थन मूल्य 2500 रु करना प्रमुख था . इससे पहले सन 2013 में भाजपा का वोट परसेंटेज 41 था और 49 सीटें मिली थीं जबकि कांग्रेस का वोट परसेंटेज 40 था और उसे 39 सीटें मिली थीं . वर्तमान में कांग्रेस की 71 व भाजपा की 14 सीटें हैं . सन् 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 51.4 प्रतिशत व कांग्रेस को 41.5 प्रतिशत मिले और प्रदेश की कुल 11 लोक सभा सीटों में से भाजपा 9 व कांग्रेस 2 सीटें जीत पाई . पूर्व विश्लेषण के अनुसार पिछले चुनावों में, पूरे प्रदेश में भाजपा के लगभग 24 प्रतिशत वोट तयशुदा रहते हैं और कांग्रेस के 20 प्रतिशत, बाकी अस्थाई वोट में से जो ज़्यादा ले जाता है वह जीतता है . आज के माहौल के अनुसार कांग्रेस ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़त बनाते नज़र आ रही है और शहरी क्षेत्रों में पिछड़ते यानि ओवर आल आगे है परंतु यह गैप दिन ब दिन कम होते जा रहा है . यदि अंतिम समय आते–आते भाजपा ने यदि किसी भी प्रकार का बड़ा धमाका किया तो कांग्रेस के साथ खेला हो सकता है साभार।
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