कबड्डी भारत का वह प्राचीन खेल है जिसे जहां एक और शरीर मजबूत होता है वहीं दूसरी ओर मानसिक एकाग्रता भी पूर्ण रूप से विकसित होती है।उक्त उद्गार छत्तीसगढ़ शासन के संसदीय सचिव व विधायक द्वारकाधीश यादव ने खल्लारी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम दारगांव के गोवर्धन भाठा में आयोजित राज्य स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता के दौरान व्यक्त किया।अवसर था विधानसभा क्षेत्र के ग्रामदार गांव में आयोजित कबड्डी प्रतियोगिता का जो कि छत्तीसगढ़ शासन के संसदीय सचिव व विधायक द्वारकाधीश यादव के मुख्य अतिथि में संपन्न हुआ।कबड्डी प्रतियोगिता की शुरुआत ग्राम देवी देवताओं व हनुमान जी की पूजा अर्चना से हुआ तत्पश्चात अतिथि स्वागत के दौरान आयोजन समिति व ग्राम वासियों ने अपने विधायक द्वारकाधीश यादव का भव्य स्वागत किया।तत्पश्चात राज्य स्तरीय प्रतियोगिता प्रारंभ हुई जिसमें छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों सहित उड़ीसा की टीमों ने भी हिस्सा लिया।इस दौरान मानव जीवन में खेल के महत्व पर सारगर्भित उद्बोधन देते हुए छत्तीसगढ़ शासन के संसदीय सचिव व विधायक द्वारकाधीश यादव ने बताया कि मानव जीवन में खेल का विशेष महत्व है। और बात यदि कबड्डी की की जाए तो कबड्डी एक ऐसा खेल है जिसमें शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक एकाग्रता का भी समुचित विकास होता है।साथ ही ध्यान केंद्रित करने में सहायता मिलती है जिससे मानव शरीर स्वस्थ एवं मजबूत बनता है।इस दौरान संसदीय सचिव श्री यादव ने राज्य सरकार के द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं की भी सरकार भी जानकारी देते हुए छत्तीसगढ़ में आने वाले विधानसभा चुनाव में फिर से एक बार कांग्रेस पार्टी की सरकार बनाने का उपस्थित जनता और आयोजन समिति का आह्वान किया।जिस पर उपस्थित जन समूह होने एक स्वर में फिर से छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार बनाने का आश्वासन श्री यादव व उपस्थित कांग्रेस जनों को दिया।इस अवसर पर प्रमुख रूप से महेंद्र चन्द्राकर उपाध्यक्ष कृषक कल्याण परिषद, आयोजन के संरक्षक कुशल नेता पोखन ठाकुर, आयोजन के अध्यक्ष शंकर ठाकुर उपाध्यक्ष फगन सिंह ठाकुर जागेश्वर पटेल, सचिव उमेश कुमार विश्वकर्मा ,सहसचिव खोमन ठाकुर, सहित समिति के सदस्य गण व क्षेत्र के जन प्रतिनिधीगण तथा विधानसभा क्षेत्र व अन्य स्थलों से पहुंचे हुए बड़ी संख्या में दर्शकगण एवं माताएं बहने उपस्थित रही।राज्य स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता का संचालन राजेश बंगानी एवं दारगांव निवासी एकल देव निषाद ने किया।
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