रवि तिवारी@देवभोग । आज हम आपको शिक्षा व्यवस्था की एक ऐसी जमीनी हकीकत की ख़बर से रूबरू करवाने जा रहे है, जिसे पढ़कर आप भी कहेंगे, कि ये तो मुसीबत की पाठशाला है । जी हां शिक्षा ग्रहण करने के लिए देवभोग ब्लॉक के लियाहारी पारा के मासूम बच्चे डर के साए में पढ़ाई करने को मजबूर है । डर भी ऐसा कि बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों को भी डर सताता रहता है कि कही 15 साल पुराने इस जर्जर स्कूल भवन में कोई अनहोनी ना घट जाए । यहां बताना लाजमी होगा कि अभी लिया। हारीपारा प्राथमिक शाला अति जर्जर और पुराने भवन पर लगाया जा रहा है । भवन भी ऐसा कि आज 15 साल बीत गए लेकिन आधा अधूरा पड़ा हुआ है । भवन में ना ही फ्लोरिंग की गई है और ना ही दीवारों में छपाई हुई है । अति जर्जर होने के कारण छत ने भी जवाब दे दिया है । छत में लगाया गए छड़ में भी जंग लग चुका है । वही छत भी कमजोर हो गया है । स्थिति यह आ गई है कि छत भी दबने लगा है । स्कूल में पढ़ने वाले मासूम दहशत और डर के साए में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर है ।
मूल शाला भवन अति जर्जर-: शाला के प्रधानपाठक रामेश्वर यदु ने बताया कि मूल शाला का भवन अति जर्जर स्थिति में है । उन्होंने बताया कि मूल शाला भवन के मरम्मत के लिए शासन स्तर से अभी एक लाख छह हजार रुपए की स्वीकृति मिली है,लेकिन भवन अति जर्जर होने के कारण स्वीकृत राशि के अनुपात में मरम्मत ना होना बताया जा रहा है । वही संकुल समन्वयक कामसिंग ध्रुव ने बताया कि शाला का मूल भवन अति जर्जर है । हमने इसकी जानकारी उच्च अधिकारियों को दे दी है । उन्होंने दूसरे जगह सरकारी भवन में बच्चों को बिठाकर पढ़ाने को कहा था । चूंकि यहां कोई दूसरा सरकारी भवन नहीं है, ऐसी स्थिति में मजबूरीवश 15 साल पुराने भवन में बिठाकर पढ़ा रहे हैं ।
ग्रामीणों ने पूछा आखिर अधिकारी क्यों नहीं है गंभीर-: गांव के लीलाकांत ध्रुवा और नरहरी यादव का कहना है कि अधिकारियों को सब कुछ पता है कि बच्चे अति जर्जर भवन में बैठकर पढ़ाई कर रहे है,और इसकी जानकारी हमने भी अधिकारी वर्ग को दिया है,तो जिम्मेदार क्यों चुप्पी साधे बैठे है, यह एक बड़ा सवाल है । ग्रामीणों ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था में गुणवत्ता की दुहाई देने वाले अधिकारी आज शिक्षा के मंदिर की ऐसी हालत पर क्यों चुप है, यह भी समझ से परे है ।
बरसात के महीने में यहीं लगाते है पाठशाला-: प्रधानपाठक ने भी माना कि 15 साल पुराने इस स्कूल भवन में शाला का संचालन करना किसी जोखिम से कम नहीं है,लेकिन यहां कोई दूसरा विकल्प नहीं हो पाने के कारण मजबूरीवश उसी भवन में बच्चों को बिठाकर पढ़ा रहे है । प्रधानपाठक के मुताबिक पिछले पांच साल से बरसात के मौसम में इसी भवन में शाला का संचालन किया जा रहा है ।
मामले को लेकर देवभोग बीईओ देवनाथ बघेल ने कहा कि उस स्कूल के मरम्मत के लिए अभी राशि स्वीकृत हुआ था, उतने राशि में वहां का काम हो पाना संभव नहीं है, हमने मामले को लेकर आरईएस विभाग से चर्चा किया है । विभाग ने रिवाइज स्टीमेट बनाकर उच्च कार्यालय को भेजा है ।